श्रीराधामाधव युगल ध्यान
हेमेन्दीवरकान्तिमञ्जुलतरं श्रीमज्जगन्मोहनं
नित्याभिर्ललितादिभिः परिवृतं सन्नीलपीताम्बरम्।
नानाभूषणाङ्गमधुरं कैशोररूपं युगं
गान्धर्वाजनमव्ययं सुललितं नित्यं शरण्यं भजे।।
* पद्मपुराण उत्तर. 162/31 *
( स्वर्ण और नील कमलके समान अति सुन्दर कान्ति वाले, जगत् को मोहित करनेवाली श्रीसे सम्पन्न, नित्य ललिता आदि सखियोँसे परिवृत, सुन्दर नील और पीत वस्त्र धारण किये हुए तथा नाना प्रकारके आभूषणोँसे आभूषित अङ्गोँकी मधुर कान्ति युक्त, अव्यय, सुललित, युगलकिशोररूप श्रीराधाकृष्णके हम नित्य शरणापन्न हैँ। )
No comments:
Post a Comment